अम्बुज कुमार
शेखोपुरसराय: नीमीया परवल उपजाने वाले ने अपना दुखड़ा सुनाते हुए कहा कि मेरी भी तो सुन लो सरकार । यह आवाज उन किसानो का है जो जेठ महिना के दुपहरिया समय मे खेत पर पसीना बहाकर निमिया परवल का नाम मशहूर करने को लेकर जी तोड़ मेहनत करते है। यहाँ बता दे की नीमी गांव के किसानो के द्वारा बड़े पैमाने पर परवल की खेती की जाती है । और वह परवल बिहार ही नहीं झारखंड बंगाल यू पी तक निमिया परवल के नाम से मशहूर है और उस परवल की खेती करने में किसान अपने खून को पसीना मे बहाते हुए फ़सल को तैयार करते हैं ।
किसान राम पदारथ सिंह बताते है की हम किसानो के मंसूबे पर पानी उस समय फिर जाता है जब परवल पूरा फल देने लगता है । और उस समय गुहिया नामक भयंकर लाइलाज रोग लग जाता है ।
जिससे परवल का लत मे केंशर जैसी गंभीर बीमारी लग जाती है। जिससे किसान का हौसला टूट जाता है । किसान लखन यादव, रामानुज सिंह, बिट्टू राउत,बिपिन सिंह, राजो सिंह ने अपना दुखड़ा सुनाते हुए कहा कि किसान करे तो क्या करे । एक तरफ किसान खेती करने को लेकर सरकार से कर्ज लेते है । और भरोसा होता है की फसल अच्छा होगा तो कर्ज को चुकता कर देंगे । पर कर्ज का बोझ दवे किसान का फसल जब बर्बाद होता है । तो वह इससे संभल भी नहीं पाते की बैंक से कर्ज चुकाने को लेकर दवाब दिया जाता है ।
कर्ज नहीं देने पर गिरफ्तारीया की करवाई की जाती है। तो आखिर हमलोग का आवाज कौन सुनेगा। किसानो ने परवल की खेती के सरकार से गुहार लगाया है की फसल सहायता, फ़सल बीमाअनुदान के साथ साथ कृषि विभाग के द्वारा परवल मे लगने वाले लाइलाज रोग का शोध करते हुए दवा उपलब्ध कराया जाय जिससे किसान को कुछ सहायता मिल सके।